मन का कमरा

मैंने अपने जीवन के मधुर साज़ में, मेरी अनकही आवाज़ में किसी के गहरे इंतज़ार में ‘तानपूरे की तान’ में “तुम आओगे” का राग भर दिया।

मैंने मेरे कमरे में रखे बेरंग कैनवस पे उँगली से कोई तो कभी ‘सुंदर रंग लेकर आएगा ’मुस्कुरा के गुमनाम नाम लिख दिया।
और लोग पूछते हैं, और लोग पूछते हैं, तुमने हँसना क्यों छोड़ दिया?

उस लालटेन की बाती में तेल की जगह उम्मीद को भर कर के खिड़की के किनारे बैठ किसी के कदमों की आहट को गिनना शुरू कर दिया, कुछ इस तरह मैंने अंधेरे से मन में उजाला कर दिया।

और जमाने वाले पूछते हैं, और जमाने वाले पूछते हैं, रात में इतना जगना क्यों शुरू कर दिया?

मैंने दरवाज़े से सटे उस मेज़ को ज़रा भीतर किया,तुम बस हमेशा के लिए आओ,बैठो बंदोबस्त सब कर लिया,
लफ़्ज़ों को बड़े सालों से संजो के रखा है, बातों का पिटारा संभले रखा है,मैंने शीशी में जज़्बातों को भर दिया।

और लोग पूछते हैं, चुप चुप रहती हो, बातें करना क्यों छोड़ दिया ?

सामने रखी तिजोरी में सब दफ्न कर रखा है,गहरे एहसास को लॉकर में बस बंद कर के चाबी को पल्लू से बांध सीने से लगा कर रख लिया,तुम आओ तो चाबी थमाऊँ तुम्हें, उम्मीद है सम्भाल लोगे आओ तो बताऊँ इस दिल के दरवाज़े को मैंने बंद क्यों कर लिया।

लोग अक्सर पूछते हैं,” बड़े गहरे हो दोस्त, ख़ुद को इतना महफ़ूज़ क्यों कर लिया?

तुम आओगे तो हर राज़ बताऊँगी,इस दिल ने ना जाने क्या क्या सहन कर सीने में क्या क्या दबा रखा मैंने इस ख़ुदगर्ज़ ज़माने से किनारा क्यों कर लिया।

एक कुंजी में मैंने अपनी हंसी, ख़ुशी,आंसू,दर्द, शिकवा, द्वेष सब दर्ज कर रखा है।
गणित में ज़रा कच्ची हूँ,तुम आओ तो सब सरल करते जाना,बड़ी महँगी हैं जीवन की रसीदें,क़र्ज़दार हूँ,उस रब का उधार माँग कर जिन्हें ग़नीमत है अब तक सम्भाल कर रख लिया,

और लोग सवाल करते हैं मुझसे,घुलते मिलते और खुलते क्यों नहीं, ख़ुद को इतना बांध मन को क़ैद क्यों कर लिया ?

दायें तरफ़ वह जो आईना रखा है ना, उसमें प्रतिबिंब है मेरा,आओगे तो कहना “वह जो शायद पिछले जनम पीछे रह गया था,वही शख़्स,वही अक्स हूँ,हाँ वही अस्तित्व हूँ मैं तुम्हारा।

लोग पूछते हैं अक्सर कौन है वो? विवाह की उम्र है, कहाँ है अब तक आया क्यों नहीं? जिसे कहती हो मेरा मेरा
और मैं कहती हूँ,ना म,चेहरा नहीं जानती मगर आएगा वहीं जिसके पहले ना कोई था जिसके बाद ना कोई मन को भाया।
मैं पूछती हूँ जमाने से ज़रा बतलाओ कैसे कहते हो पहला,दूसरा,तीसरा सबको अपना,और मेरा तुम्हारा?
और फिर मुझसे सवाल कर के कमाल करते हो पूछते हो…..तुम्हें अब तक कोई पसंद क्यों नहीं आया?

मेरा दामन बेदाग़ है,होगा तो वहीं जो मंडप से अर्थी तक साथ रहने का वादा निभाएगा।
बस वही हाँ बस वही तो अपना कहलायेगा
और फिर शायद यह सपना हक़ीक़त हुआ कहलायेगा।

Written – https://www.instagram.com/jazbaateehsaas/

Treasure of words

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