
तुम क्या जानो कैसे मन को बांधा है
बिन प्रेम मेरा अस्तित्व रह गया आधा है
एक भेंट को व्याकुल नैना मेरे ऐसे हैं
ज्यों कान्हा की बाट ताकती राधा है
अतीत जो हुआ व्यतीत, उसे अब जाने दो ना
कैसा हठ किस बात को मन आमादा है
मेरा प्रेम असीम है, अखंडित है
तुमने बांध रखी कैसी मर्यादा है
तुम क्या जानो कैसे मन को बांधा है
बिन प्रेम मेरा अस्तित्व रह गया आधा है
Written – Khushi Surinder Pal
Treasure of words