मन का कमरा
मैंने अपने जीवन के मधुर साज़ में, मेरी अनकही आवाज़ में किसी के गहरे इंतज़ार […]
मैंने अपने जीवन के मधुर साज़ में, मेरी अनकही आवाज़ में किसी के गहरे इंतज़ार […]
तुम क्या जानो कैसे मन को बांधा हैबिन प्रेम मेरा अस्तित्व रह गया आधा है […]
समंदर में डूबी कश्ती, पानी पर फिरसे चली है क्या,सीली लकड़ियाँ भी कभी जली है […]
खुश हूँ मैं उतने में ही,मैंने जितना भी तुझको पाया था। किसी के जाने के […]
कौन कम्बखत पीना चाहता है पीने के लिए,हम तो पीते है ग़म भुलाने के लिए। […]
नौकरी नौकरी हो वज़न ना होनौकरी ऐसी ख्वाब दफ़न ना हो नौकरी ऐसी हो सुकून […]
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